

देहरादून- उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश के लिए यह बड़ी खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने चार धाम प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। अब गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ को सभी मौसम में पहुंचा जा सकेगा। यह प्रोजेक्ट धार्मिक ही नहीं सुरअक्षा के दृष्टि से भी महत्पूर्ण है इसलिए इस प्रोजेक्ट को चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधो से जोड़कर भी देखा जा रहा है। यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय ने देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए ब्रह्मोस मिसाइलों को चीन सीमा तक पहुंचाने के लिए सड़कों के चौड़ीकरण बढ़ाने की अनुमति के लिए अनुरोध किया था। इस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सुरक्षा की महत्वपूर्ण मानते हुए इस चार धाम प्रोजेक्ट की सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर करने की मजूरी दी।
सुप्रीम कोर्ट में चार धाम प्रोजेक्ट की चौड़ाई को लेकर हो रही सुनवाई की दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरका का पक्ष रखते हुए कहा कि जिन जगहों पर चार धाम प्रोजेक्ट की सड़कें बन रही हैं वह बहुत ही दुर्गम इलाके हैं, यहां भारतीय सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक और सेना के लिए खाद्य सप्लाई ले जानी पड़ती है। साथ उन्होंने यह भी कहा कि हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसे ले जाने के लिए लंबे वाहनों की जरूरत पड़ती है। अपना पक्ष आगे रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सेना को ब्रह्मोस ले जाना जरूरी है और इसके लिए एक बड़े क्षेत्र की जरूरत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस क्षेत्र में भूस्खलन होता भी है तो उससे सेना निपट लेगी लेकिन रोड ही पर्याप्त चौड़ी नहीं होगी तो हम कैसे जाएंगे। भारत- चीन से तनाव को लेकर उन्होने कहा कि भगवान न करें कि अगर लड़ाई हो ही जाती है तो ऐसे में हमारी सेना के पास हथियार ही नहीं होंगे तो वह कैसे निपटेंगे, हमें पूरी तरह से सावधान और सतर्क रहना होगा और हमें तैयार भी रहना होगा। इस तर्क के बाद सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा दृष्टि से इस महत्पूर्ण मानते हुए चार धाम प्रोजेक्ट के चौड़ाई बढ़ाने की मंजूरी दी।