
देहरादून-उत्तराखंड में संस्कृतिकर्मी और रंगकर्मियों के लिए खुशी की खबर है। उत्तराखंड लोक सस्कृति के ध्वजवाहक आदरणीय प्रो डीआर पुरोहित को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की घोषणा हुई है।
डॉ. एसपी सती ने डॉ डीआर पुरोहित के नाम पर जैसे ही यह घोषणा हुई तो उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि प्रोफेसर डीआर पुरोहित को राष्ट्रीय संगीत नाट्य अकादमी अलंकरण से सम्मानित किया जाना न केवल पहाड़ के लोक संगीत कला, नाट्य को सम्मान मिलना है अपितु परंपरागत रूप से हासिये पर धकियाए गए कला और कला मर्मज्ञों का इंपावरमेंट भी है।
प्रोफेसर पुरोहित ने जन में नाट्य, कला और संगीत ढूंढा तथा कला, संगीत नाट्य में जन.. ढोल विधा को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई,। नंदादेवी राजजात को बहुत बडे फलक पर उकेरा। रम्माण को विश्व धरोहर घोषित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।चक्रव्यूह को बहुत बड़ा कैनवास दिया। बेडा गायन शैली को विलुप्त होने से बचाने के प्रयास किए और इन विधाओं के सिद्ध जो मुफलिसी में जी रहे थे उनके उत्थान के लिए भी काम किया। इतना तो मैं जानता हूं, उनके शागिर्द और उनके साथ काम करने वाले तो उनके लगभग उपासक ही हैं। पहाड़ की मिट्टी की सौंधी गंध से विश्व पटल महकाया। हम गौरवांवित हैं सर.. ये भी सच है कि उनसे कई अवसरों पर वैचारिक तल्खी भी हुई।
बहुत बधाई आपको और आप से ज्यादा हम सब पहाड़ वाइयों को.. D. R. Purohit