
पौड़ी- आज से करीब डेढ दो साल पहले चोपड़ाकोट के जल्लू गांव में जब आलू के बीज उत्पादन व भंडारण की योजना की शुरूआत हुई तो उस वक्त वह उनींदी का सा सपना लग रहा था। आज उस प्रयोग की सफलता के चौंकाने वाले परिणाम सबके सामने हैं। आर्थिक सबलता के सपने पालने वाले राठ क्षेत्र में तो मानो त्यौहार का सा मौसम है।
पौड़ी जनपद का दूरस्थ विकास खण्ड है थलीसैण। देश और दुनिया में सुदूरवर्ती गांवों के जब भी उदाहरण दिए जाएंगे तो राठ क्षेत्र के जल्लू, कपरोली, भैंसवाड़ा, टीला, खंड जैसे गांवों के उदाहरण हर हाल में सटीक बैठेंगे। अच्छी बात यह है यह गांव सुदूरवर्ती तो हैं लेकिन यहां के ग्रामीणों का खुद पर भरोसा करने का जज्बा और हाड तोड़ मेहनत का शौक इन्हें हर मोर्चे पर आगे ही खड़ा रखती है।
बताते चलें कि आलू के उत्पादन में यह क्षेत्र पूर्व से ही अग्रणी रहा है। उत्पादन से लेकर विपणन भंडारण तक की तमाम चुनौतियां रहीं, लेकिन कहते हैं ना, हिम्मत है तो बड़ी मुश्किलों पर भी विजय आसान हो जाती है। यहां आलू उत्पादकों को बीज और भंडारण की दिक्कतों के चलते बिचौलिए बीज उपलब्ध कराते थे, और भंडारण न होने की स्थिति में खेतों से ही औने पौने दामों पर फसल उठा देते। किसानों के आगे मजबूरी थी। दुर्योग यह था कि समस्या के समाधान के लिए तब राजनैतिक स्तर पर भी प्रयास नहीं हो सके।
अब समय बदला है। राठ क्षेत्र में जब से डा धन सिंह रावत के नाम का डंका बजा तो शूटेड बूटेड हवाई दावों के बजाए जमीनी समस्याओं के निदान पर फोकस हुआ। क्षेत्र के विधायक व प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डा रावत ने जल्लू में आलू बीज व स्टोरेज के लिए प्रयास किए और आज बीज व फसल स्टोर करने को परेशान रहने वाले किसानों के चेहरों पर खुशियों की रौशनी है।
जिला प्रशासन भी दावा ठोक रहा है कि आज जल्लू प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने वाला पौड़ी जिले का पहला गाँव बन गया है। यहां से अब उद्यान विभाग को कुफरी प्रजाति के प्रमाणित आलू बीज सप्लाई हो रहे हैं।
धनदा कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के संदेश की दिशा में काम करते हुए आलू बीज उत्पादन में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाये जा रहे हैं। क्षेत्र के सैकड़ों किसान इस कार्यक्रम से जुड़े हैं।
उद्यान विभाग को 15 से 17 हजार कुंतल आलू बीच की हर साल जरूरत होती है। पहले 5-7 कुंतल पिथोरागढ़, मुनिस्यारी व काशीपुर में होता था, बाकी हिमाचल, यूपी, हरियाणा से मंगाते थे। अब जल्लू की मदद से प्रदेश में ही बीज आपूर्ति संभव हो गई है। दसियों हैक्टेअर भूमि में टनों बीज तैयार हो रहा है। है ना ये अच्छी बात।
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत कहते हैं कि जिले में ही प्रमाणिक आलू बीज उपलब्ध होना बड़ी उपलब्धि है। योजना को और विस्तार देने पर काम चल रहा है।