
देहरादून- उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू होने के बाद अवैध रूप से जमीन खरीदने वालों के खिलाफ प्रशासनिक शिकंजा कसना शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने भू-कानून को सख्ती से लागू करने का ऐलान किया था, और अब इसे ज़मीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है।
प्रदेश की राजधानी देहरादून से इसकी शुरुआत हुई है, जहां अब तक नियम विरुद्ध खरीदी गई 213.41 हेक्टेयर भूमि में से 121.78 हेक्टेयर भूमि को सरकार में निहित कर लिया गया है, जबकि शेष 91.63 हेक्टेयर भूमि पर भी अगले महीने तक प्रवर्तन की कार्रवाई पूरी कर दी जाएगी।
सीएम धामी की दो-टूक: अवैध भूमि खरीद बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में भूमि माफियाओं और अवैध सौदों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। फरवरी में हुए विधानसभा सत्र में सरकार ने भू-कानून को और सख्त बनाकर इसे कानूनी जामा पहनाया, जिससे अब कोई भी बाहरी व्यक्ति या संस्था नियमों के विपरीत जाकर राज्य में भूमि खरीद नहीं कर सकेगी।
देहरादून में अवैध भूमि खरीद पर प्रशासन का एक्शन
देहरादून जिले में 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि बिना अनुमति या नियमों का उल्लंघन करके खरीदने के मामलों में सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। अब तक 393 मामलों में से 282 मामलों में प्रशासन ने निर्णायक कदम उठा लिए हैं।
विकासनगर तहसील में 107.12 हेक्टेयर, सदर में 81.582, डोईवाला में 2.82, ऋषिकेश में 21.89 हेक्टेयर भूमि की नियम विरुद्ध खरीद की पुष्टि हुई है। जिस पर कार्रवाई करते हुए कुल 121.78 हेक्टेयर भूमि सरकार में निहित की जा चुकी है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि राज्य में भू-कानून का उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश में लागू सख्त भू-कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा ताकि राज्य की भूमि को अवैध कब्जे और अराजक भूमि खरीद-फरोख्त से बचाया जा सके। राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भू-कानून का सख्ती से पालन हो और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर तुरंत कार्रवाई की जाए। जिला प्रशासन भी मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत पूरी मुस्तैदी से इस अभियान को आगे बढ़ा रहा है। उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य में पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
भू-माफियाओं को चेतावनी: अब बचना मुश्किल
प्रदेश में सख्त भू-कानून लागू होने से अब भूमि माफियाओं की मनमानी नहीं चल पाएगी। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी नियमों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य में पारदर्शिता, सुशासन और भूमि संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, जिससे प्रदेश की संस्कृति, प्रकृति और भूमि को सुरक्षित रखा जा सके।