काशी तेलुगू संगमम का मंगलवार को नमो घाट पर रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ भव्य समापन हुआ। तीन दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन उत्तर और दक्षिण भारत की लोककलाओं के विविध रंग दिखे। तेलंगाना की प्रस्तुतियों ने समा बांध दिया।
यह आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर और संस्कृति मंत्रालय की तरफ से किया गया। मंगलवार की प्रथम प्रस्तुति रही तेलंगाना के पी. रमेश और दल की कोम्मु कोया नृत्य रही। यह नृत्य जनजाति लोक कलाकार करते हैं। । द्वितीय प्रस्तुति हिमागिरी व दल की लंबाड़ी नृत्य की थी। सुदर्शन एवं दल ने गुस्साड़ी नृत्य के रूप में तीसरी प्रस्तुति दी। गुस्साड़ी नृत्य का उद्दीपन शिव-पार्वती की कथाओं और स्थानीय गाथाओं से होता है। चतुर्थ प्रस्तुति में एलन जंपैया और दल ने मथुरी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। पांचवीं प्रस्तुति रही डॉ. वनाजा उदय एवं दल की कुचिपुड़ी नृत्य की थी।
छठवीं प्रस्तुति में निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इंटर कॉलेज में संचालित व्याख्या केंद्र कजरी के प्रशिक्षु कलाकारों ने सुमधुर प्रस्तुति से मन मोहा। सुचरिता गुप्ता का निर्देशन और पूनम शर्मा का संवादिनी पर सहयोग रहा। सातवीं प्रस्तुति में उदय प्रताप पब्लिक स्कूल में संचालित व्याख्या केंद्र चैती की प्रशिक्षु कलाकारों ने ममता शर्मा के निर्देशन में कजरी की प्रस्तुति की। डप्पुलु नृत्य की आठवीं प्रस्तुति के बाद कृष्णा एवं दल ने ओग्गु ढोल नृत्य की नौवीं और अंतिम प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम संयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अजय गुप्ता और संचालन डॉ. प्रीतेश आचार्य ने किया।