अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के कार्यक्रम के लिए भव्य तैयारियां की गई हैं। राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, जिसके लिए पीएम मोदी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समेत हजारों लोग उपस्थित होंगे। राम मंदिर कार्यक्रम के लिए विपक्षी नेताओं को भी न्योता दिया गया है। कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को बुलाया गया है। हालांकि, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी को आमंत्रित नहीं किया गया। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेताओं में होने के बाद भी राहुल गांधी और प्रियंका को क्यों नहीं बुलाया गया?
दरअसल, सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (सीपीपी) के प्रमुख होने के नाते राम मंदिर कार्यक्रम में बुलाया गया है, जबकि मल्लिकार्जुन खरगे को कांग्रेस अध्यक्ष होने की वजह से न्योता दिया गया है। चूंकि, प्रियंका गांधी सिर्फ कांग्रेस की महासचिव हैं और राहुल गांधी सिर्फ केरल के वायनाड से सांसद हैं, इसलिए दोनों को नहीं बुलाया गया है। अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं और यही वजह है कि उन्हें भी कार्यक्रम में बुलाया गया है। राम मंदिर से जुड़े इस कार्यक्रम में न्योता देने के लिए एक सूची बनाई गई है। इसके हिसाब से तीन कैटेगरी में पॉलिटिकल पार्टियों के अध्यक्ष, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता और जो 1984 से 1992 में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे, उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट न्योता भेज रहा है। सोनिया गांधी को खुद राम मंदिर निर्माण कमेटी के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने जाकर न्योता दिया था।
इसके अलावा, विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने हाल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता दिया। वे कांग्रेस पार्टी के प्रमुख होने के साथ-साथ राज्यसभा में भी विपक्ष के नेता हैं। वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता की बात करें तो 2014 में तय सीटों से कम होने की वजह से कोई भी विपक्ष का नेता नहीं बन सका और ऐसे में सबसे विपक्षी दलों में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को वीएचपी ने आमंत्रित किया है।